अग्निवीर शंकर को मां ने सिर पर हाथ फेरकर दुलारा,कुछ ही देर में होगा सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
बीकानेर। बेटा अग्निवीर ट्रेनिंग के 7 माह बाद घर वापस आने वाला था। पिता ने पूरी तैयारी कर रखी थी। घर की रंगाई-पुताई करवाई थी, गांव के लोगों को कहा था बेटा आने वाला है। लेकिन, घर आने से 5 दिन पहले बेटे की मौत की खबर सुनकर कलेजा फट पड़ा। खुशियां मातम में बदल गई। रविवार को अग्निवीर शंकर (22) की पार्थिव देह बीकानेर के लूणकरणसर के करणीसर गांव लाई गई। कुछ ही देर में उनका सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। शव उनके पैतृक गांव पहुंचते ही मां पार्थिव देह से लिपट कर रो पड़ी। अपने बच्चे के सिर पर हाथ फेर कर दुलार किया।
पूरे गांव को कहा था बेटा आने वाला है
पिता कानदास कहते हैं- बेटे शंकर की ट्रेनिंग की शुरुआत इसी साल 30 अप्रैल को शुरू हुई थी। इसके 7 महीने बाद उसकी ट्रेनिंग 2 दिसंबर को खत्म होनी थी और वह 3 दिसंबर को घर आने वाला था। इसी बीच शुक्रवार को सूचना मिली कि ब्रेन हैमरेज होने से उनकी मौत हो गई है। हमारी सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई। पूरे गांव को न्योता था और सभी को बता दिया था कि बेटा घर आने वाला है। सबको उसके सम्मान में घर आना है। ट्रेनिंग के दौरान उसे एक भी छुट्टी नहीं मिली थी। लौटा तो ऐसे लौटा कि अब उससे बात भी नहीं कर पाएंगे।
शंकर की शादी नहीं हुई थी। उनकी मां संतोष देवी रह-रह कर बेटे को पुकारती हैं। 1 छोटा भाई है जो अभी पढ़ रहा है। वे नासिक में ट्रेनिंग ले रहे थे।
पार्थिव देह को ग्रामीणों ने दी श्रद्धांजलि
शंकर का शव सुबह लूणकरणसर पहुंचा। यहां पार्थिव देह ले जा रहे वाहन को रुकवा कर पंचायत समिति प्रधान सहित बड़ी संख्या में लोगों ने श्रद्धांजलि दी। युवाओं ने शंकर दास अमर रहे के नारे लगाए। फूल मालाओं से उनके वाहन को लाद दिया गया। लूणकरनसर कस्बे के राजपुरा फांटा पर सुबह करीब 9 बजे शंकर दास को श्रद्धांजलि दी गई। उसके परिजनों के अलावा मित्र और लूणकरनसर के प्रबुद्ध लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इसके बाद नाथवाना, किसनासर, राजपुरा गांव में भी शंकर दास की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित किए गए। मनाफसर गांव होते हुए शव उनके खुद के गांव करणीसर पहुंचा।
घबराहट होने पर अस्पताल में भर्ती करवाया था
गांव के सरपंच हेतराम गोदारा बताते हैं- शंकर 27 दिसम्बर को सुबह 5:15 बजे परेड के लिए लाइन में लगा हुआ था। उन्हें अचानक घबराहट होने पर नासिक के आर्मी अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने बीपी हाई होना बताते हुए भर्ती कर उपचार शुरू किया। दिनभर उपचार के बाद शाम को फिर से कैंप में आ गया। 28 दिसम्बर को सुबह फिर घबराहट होने पर तुरंत अस्पताल लेकर गए। जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद पूणे के लिए रेफर कर दिया। आर्मी अधिकारियों ने परिजनों को सूचना दी थी। इस पर शंकर के ताऊ ओमदास व भंवरदास तुरंत पुणे के लिए रवाना हो गए। 29 दिसम्बर को सुबह 5.30 बजे अस्पताल पहुंच गए। शुक्रवार को 12 बजे अस्पताल में शंकर ने दम तोड़ दिया।