राजस्थान में पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकायों के एक साथ चुनाव कराना मुश्किल है। मामला कानूनी पेचीदगियों में उलझ गया है। राज्य सरकार वन स्टेट वन इलेक्शन को लेकर कैबिनेट सब कमेटी बनाने जा रही है। इसके लिए सीएमओ प्रस्ताव भेजा गया है।
विधि विभाग के स्तर पर अलग से मंथन चल रहा है। एक साथ चुनाव करवाने के लिए अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव टालने होंगे। सरकार इसके लिए कानूनी रास्ता तलाश रही है। पंचायतीराज विभाग और शहरी विकास व स्थानीय निकाय विभाग ने भी अपने स्तर पर कानूनी पहलुओं पर विचार किया है।
मुख्य सचिव सुधांश पंत की अध्यक्षता में वन स्टेट-वन इलेक्शन को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। उन बैठकों में भी यह सुझाव प्रमुखता से आया था कि पहले कैबिनेट सब कमेटी बनाकर राय लेना सही रहेगा।
कैबिनेट सब कमेटी बनाने का प्रस्ताव सीएमओ भेजा जा चुका है, अब कभी भी कमेटी बन सकती है। कमेटी एक साथ चुनाव करवाने के रास्ते में आ रही कानूनी बाधाओं का हल तलाशेगी। कानूनी जानकारों की राय के आधार पर अपनी सिफारिशें देगी।
ड्राफ्ट तैयार होगा, जनता से भी राय मांगी जा सकती है
राज्य में 213 शहरी निकाय हैं। इनके चुनाव एक साथ कराने हैं। इनमें 11 नगर निगम, 33 नगर परिषद और 169 नगर पालिकाएं हैं।
पंचायतीराज में 11341 ग्राम पंचायतों, 352 पंचायत समितियों और 33 जिला परिषदों के चुनाव एक साथ करवाने हैं। नए जिलों के हिसाब से चुनाव करवाए तो जिला परिषदों की संख्या 50 हो जाएगी।
अब तक सरकार में कई दौर का मंथन हुआ है। कैबिनेट सब कमेटी एक साथ चुनाव का ड्राफ्ट तैयार करके जनता से राय भी मांग सकती है। जनता की राय और कानूनी सलाह के आधार पर कमेटी सिफारिशें देगी।
जनवरी के चुनाव टल सकते हैं
अगले साल 2025 में जनवरी में 6975 ग्राम पंचायतों, मार्च में 704 और अक्टूबर में 3847 ग्राम पंचायतों का 5 साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इन सबके साथ चुनाव कराने के लिए आधी पंचायतों के चुनाव आगे पीछे करने होंगे।
दिसंबर 2025 में 21 जिला परिषदों, सितंबर-अक्टूबर 2026 में 8 और दिसंबर 2026 में 4 जिला परिषदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है।
इसी तरह दिसंबर 2025 में 222 पंचायत समिति के मेंबर और प्रधानों का कार्यकाल पूरा होगा। सितंबर 2026 में 78, अक्टूबर 2026 में 22 और दिसंबर 2026 में 38 पंचायत समितियों का कार्यकाल पूरा हो रहा है।
सरपंच संघ ने सरकार को दिया ये दिया प्रस्ताव
सरपंच संघ ने सरकार को पिछले दिनों एक प्रस्ताव दिया। इसके मुताबिक एक साथ चुनाव करवाने के लिए हजारों पंचायतों में समय पर चुनाव न हों तो प्रशासक लगाने की जगह एक संचालन कमेटी बना दी जाए। मौजूदा पंच सरपंचों को ही शामिल करके वो कमेटी काम करती रहे। हालांकि पहले मध्यप्रदेश में इस तरह का प्रयोग किया गया था। हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी।